मोहर्रम के त्योहार मे शिया समुदाय के लोगों को इमामबाड़े और घरों में ताजियादारी और मातम करने और मजलिस करने से रोके जाने को लेकर आज लखनऊ में शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने इमामबाड़ा गुफरान माब मे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी। वहीं इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मौलाना कल्बे जवाद ने अपनी मांगों को लेकर वहीं पर धरने पर बैठने की बात भी कहीं और इमामबाड़ा गुफरान माब पर शिया कम्युनिटी के साथ धरने पर बैठ गए।
मौलाना साहब ने कहा कि लखनऊ की अजादारी की एक अलग बात है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मौलाना कल्बे जवाद ने बताया कि लखनऊ का मोहर्रम दुनिया भर में मशहूर है।उन्होंने कहा कि यहीं से पूरी दुनिया में भी अजादारी फैली है। ईरान और इराक को छोड़कर और अभी की मुल्क है। मौलाना साहब ने कहा कि लखनऊ की अजादारी की एक अलग बात है। इसी के साथ मौलाना साहब ने कहा कि कोविड-19 को देखते हुए इस बार मोहर्रम के जुलूसओं पर पाबंदी लगाई गई थी। जिसको लेकर हम लोग भी उस को मानने को तैयार थे।हमने उस पर कुछ भी नहीं कहा लेकिन जिस तरीके से घरों और इमामबाड़े में मजबूत करने को रोका जा रहा है वहां बहुत ही गलत है।
इतने बड़े इमामबाड़े में 5 लोगों को मजलिस पढ़ने की इजाजत दी गई है।
शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद के साथ इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई और शिया मौलाना भी शरीक हुए।साथ ही इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौलाना ने कहा कि हमारे इमामबाड़े बहुत बड़े हैं। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग के साथ 1000 आदमी आ सकता है। हमने सरकार से सोशल डिस्टेंसिंग के साथ इमामबाड़े में मजलिस पढ़ने की इजाजत मांगी थी। लेकिन उसके बावजूद हमको सिर्फ इतने बड़े इमामबाड़े में 5 लोगों को मजलिस पढ़ने की इजाजत दी गई है। जबकि हम लोगों ने यह भी कहा था कि हम लोग सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सैनिटाइजर और मास्क का भी प्रयोग करेंगे उसके बावजूद भी हम लोगों को इजाजत नहीं दी गई।
लोगों को ताजिए रखने और घरों में मूर्ति रखने की इजाजत देनी चाहिए।
इसके साथ ही इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौलाना साहब ने अपने धरने का भी ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि हमारी अगर मांगें नहीं पूरी की जाती है या उन पर अमल नहीं किया जाता है तो वह इस धरने पर बैठे रहेंगे।इसी के साथ उनका कहना था कि जिस तरीके से घरों में ताजिया रखने पर पाबंदी लगा दी है।वाह बिल्कुल गलत है हम लोग घरों में ताजिए रखने की बात कर रहे हैं ना कि उनको निकालने की उसके बावजूद भी हमको इसकी इजाजत नहीं दी गई है।लोगों को ताजिए रखने और घरों में मूर्ति रखने की इजाजत देनी चाहिए। मौलाना कल्बे जवाद ने बताया कि बदायूं में ताजीये रखने पर वहा की पुलिस ने गंभीर धाराओं पर मुकदमा भी दर्ज किया है।
मौलाना साहब ने एक बात कही कि दूसरे धर्मों के लोग घरों में मूर्तियां रख रहे हैं।
हमने इसके लिए मौलाना साहब का कहना था कि उन्होंने आला अधिकारियों सहित आला मंत्रियों से जिसमें राजनाथ सिंह से लेकर मुख्तार अब्बास साहब से बात हुई है।इसके साथ ही ताजियादारी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को भी लेटर लिखा है। मौलाना साहब ने बताया कि उन्होंने खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात रखी और उनसे कहा कि हम लोगों इस महामारी यानि कि कोरोनावायरस के हिसाब से मजलिस करने और घरों में ताजिए रखने की इजाजत दी जाए और साथ में दूसरे धर्म के लोगों को भी घरों में मूर्तियां रखने की इजाजत मिले।मौलाना साहब ने एक बात कही कि दूसरे धर्मों के लोग घरों में मूर्तियां रख रहे हैं। उसकी उनके पास वीडियो भी आ रही है। अब वहा कैसे रख रहे हैं यह वह नहीं जानते।
इमामबाड़ा गुफरान माब पर अभी से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठ रहे हैं।
लेकिन उन्होंने कहा कि अगर उनके द्वारा घरों में ताजिए रखे जा रहे हैं और मातम किया जा रहा है। तो उस पर गंभीर धाराओं पर मुकदमा लिख दिया जा रहा है। जो कि सरासर गलत है। जबकि अगर देखें तो दिल्ली में 1000 लोगों को कोरोना वायरस के गाइड लाइंस मुताबिक इबादत करने की इजाजत मिली है। इसके साथ ही मौलाना साहब ने कहा कि क्या सिर्फ कोविड-19 के कानून सिर्फ पुराने लखनऊ के लिए रह गए हैं। इसके साथ ही मौलाना ने ऐलान किया कि वह इमामबाड़ा गुफरान माब पर अभी से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठ रहे हैं। उनके साथ ही पूरे उत्तर प्रदेश में भी शिया समुदाय द्वारा धरना दिया जाएगा और यह धरना 2 दिन तक चलेगा। अगर हमारी मांग यानी हमें कोविड-19 की गाइडलाइंस के मुताबिक और सोशल डिस्टेंसिंग के तहत मजलिस और ताजियादारी करने का हक नहीं दिया गया। तो हम लोग उसके बाद आगे सोचेंगे कि हमें क्या करना है। मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि आगे भी यह धरना जारी रहेगा।
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